उठो, जागो और ध्येय प्राप्ति तक लगे रहो



Kailash Satyarthi:

             कैलास सत्यार्थी भारतीय बाल अधिकार और शिक्षा वकील और बाल मजदूरी के खिलाफ लड़ने वाले कार्यकर्त्ता है। आज हम उनके कहे गए वचनों को जानते हैं –

१. बचपन का मतलब है सादगी। दुनिया को बच्चों की नज़र से देखो- ये बहुतही खूबसूरत है।
– कैलाश सत्यार्थी

२. मैं ऐसी दुनिया का सपना देखता हूँ जहाँ बाल श्रम ना हो, एक ऐसी दुनिया जिसमे हर बच्चा स्कूल जाता हो। एक दुनिया जहाँ हर बच्चे को उसका अधिकार मिले।
– कैलाश सत्यार्थी

३. मेरे लिए, शांति हर बच्चे का एक बुनियादी मानव अधिकार है, यह अपरिहार्य है और परमात्मा है।
– कैलाश सत्यार्थी

४. बच्चों को ख्वाब देखने से वंचित करने से बढ़कर कोई अपराध नहीं है।
– कैलाश सत्यार्थी

५. अगर अभी नहीं, तो कब? अगर तुम नहीं, तो कौन? अगर हम इन मौलिक सवाओं का उत्तर दे सकें, तो शायद हम सब ह्यूमन स्लेवरी का दाग मिटा सकें।
 – कैलाश सत्यार्थी

6. मैं शोषण से शिक्षा की ओर, और गरीबी से साझा समृद्धि की ओर प्रगति करने के लिए कहता हूँ, एक ऐसी प्रगति जो गुलामी से आज़ादी की ओर हो, एक ऐसी प्रगति जो हिंसा से शांति की ओर हो।
– कैलाश सत्यार्थी

७.चलिए, हम हमारे बच्चों के प्रति करुणा के माध्यम से दुनिया को एकजुट एकसाथ करते हैं।
– कैलाश सत्यार्थी

८. हर एक मिनट मायने रखता है, हर एक छोटा बच्चा मायने रखता है, हर एक बचपन मायने रखता है।
– कैलाश सत्यार्थी

९. मैं हजारों महात्मा गाँधी, मार्टिन लूथर किंग, और नेल्सन मंडेलाओं को आगे बढ़ते और हमें बुलाते हुए देखता हूँ। लड़के और लड़कियों शामिल हो गए हैं। मैं शामिल हो गया हूँ। हम आपको भी शामिल होने के लिए कहते हैं।
– कैलाश सत्यार्थी

१०. इस आधुनिक दुनिया में पीड़ित लाखों बच्चों की दुर्दशा समझने के लिए मैं नोबल कमिटी का शुक्रगुज़ार हूँ।
– कैलाश सत्यार्थी

११. गरीबी, बाल श्रम और अशिक्षा के बीच एक त्रिकोणीय सम्बन्ध है जिनमे कारण और परिणाम का नाता हमेशा होता है। हमें इस दुष्चक्र को तोडना होगा।
– कैलाश सत्यार्थी

१२. मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य है कि हर बच्चा:
बच्चा होने के लिए आज़ाद हो,
आगे बढ़ने और विकास करने के लिए आज़ाद हो,
खाने, सोने, और दिन की रौशनी देखने के लिए आज़ाद हो,
हंसने और रोने के लिए आज़ाद हो,
खेलने के लिए आज़ाद हो,
दीखने, स्कूल जाने और सबसे बढ़कर ख्वाब देखने के लिए आज़ाद हो।
– कैलाश सत्यार्थी

१३. मैं मंदिरों में कभी नहीं जाता, लेकिन जब मैं एक बच्चे को देखता हूँ, मैं उन में भगवान के दिखाई देते हैं और उसीमे भगवान का दर्शन करता हूँ।
– कैलाश सत्यार्थी

१४. दोस्तों, सबसे बड़ा संकट जो आज मानवता के दरवाजे पर दस्तक दे रहा हैम वो है असहिष्णुता।
– कैलाश सत्यार्थी

- Team Taiyari Jeet Ni

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