उठो, जागो और ध्येय प्राप्ति तक लगे रहो




पूरा नाम:        अल्लाह रक्खा रहमान
जन्म:               6 जनवरी 1967
जन्मस्थान:      चेन्नई
पिता:              आर.के. शेखर
माता:              करीमा बेग़म
विवाह:            सायरा बानू

               पाश्चिमात्य और प्राचीन संगीत के एकीकरण में रहमान का काम देखने योग्य है. इसके लिए उन्हें काफी अवॉर्ड्स भी दिये जा चुके है. जिनमे 2 अकादमी अवॉर्ड, 2 ग्रैमी अवार्ड, एक BAFTA अवॉर्ड, एक गोल्डन ग्लोब, चार राष्ट्रिय फिल्म अवॉर्ड और 15 फिल्मफेयर अवॉर्ड शामिल है. रहमान के फिल्मो में अपने काम करने के अंदाज़ और स्टेज ने उन्हें एक नया उपनाम “मद्रास का शेर” दिया. उनके तमिल फैंस उन्हें ‘ईसाई पुयल’ के नाम से बुलाते है.

         2009 में, समय पत्रिका ने रहमान को दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगो की सूचि में शामिल किया. अगस्त 2011 में UK पर आधारीत वैश्विक संगीत की पत्रिका की लाइन में रहमान को “कल का वैश्विक संगीत चहेता” बनाया.
          अपने आंतरिक स्टूडियो के साथ रहमान का फिल्मी करियर 1990 की तमिल फिल्म रोजा से शुरू हुआ. बाद में रहमान भारतीय फिल्म जगत, अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा और थिएटर में काम करते हुए रहमान के संगीत रिकार्ड्स सभी समय में बिकने वाले संगीत रेकॉर्ड्स में से एक बने. अपने यादगार 2 दशको से भी ज्यादा के करियर में उन्होंने फिल्म जगत को नये तरह के संगीत से पहचान दिलाई और इस तरह वे एक परोपकारी और मानवप्रेमी भी बने, और अपने वार्षिक उत्पन्न का काफी भाग वे दान भी देते है, यही नही बल्कि वे खुद कई समाजसेवी संस्थाओ को चलाते है.

            रहमान का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य के चेन्नई शहर में एक मध्यम वर्गीय तमिल मुदलियार परीवार में हुआ. उनके पिता आर.के. शेखर, तमिल और मलयालम फिल्मो के परिचालक और निर्माता थे. रहमान बचपन में हमेशा अपने पिता की सहायता करते थे. जब रहमान केवल 9 साल के ही थे, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी, वे अपने पिता के वाद्ययंत्रों को किराये से देकर अपना घर चलाने लगे थे. जो बाद में उनकीं माता करीमा ने अपने हात मे ली थी. रहमान एक बेहतर कीबोर्ड प्लेयर थे. साथ ही वे कई मौको पर बैंड का बंदोबस्त भी करा देते थे, जैसा की उन्होंने अपने बचपन के मित्र सिवामणि, जॉन अन्थोनी, सुरेश पेटर्स, जोजो और राजा के साथ मिलकर किया था और बाद में उन्होंने चेन्नई पर आधारीत रॉक ग्रुप नेमसिस एवेन्यु की भी स्थापना की थी. वे कीबोर्ड, पियानो, सिंथेसाइज़र, हारमोनियम और गिटार के महान ज्ञाता कहलाते है. विशेष तौर पर तो उन्होंने सिंथेसाइज़र में महारत हासिल कर रखी थी. क्योकि उनकी अनुसार सिंथेसाइज़र में संगीत और तंत्रज्ञान का अद्भुत संगम होता है.

         A R Rahman ने अपने संगीत कि शिक्षा का प्रशिक्षण मास्टर धनराज के हातो लेना शुरू किया और 11 साल की अल्पायु में ही वे अपने पिता के करीबी दोस्त एम.के. अर्जुन के साथ मलयालम ऑर्केस्ट्रा बजाया करते थे. बाद में उन्होंने कुछ दुसरे संगीतकारों के साथ काम करना शुरू किया, जैसे की एम.एस.विस्वनाथन, ल्लैयाराजा, रमेश नायडू और राज-कोटि, इसके बाद उन्होंने जाकिर हुसैन, कुन्नाकुदी वैद्यनाथन और एल.शंकर के साथ विश्व स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन भी किया. उनके हुनर को देखते हुए उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, लन्दन के संगीत विभाग से शिष्यवृत्ति भी मिलती थी. चेन्नई में पढते हुए, रहमान अपनी स्कूल से ही वेस्टर्न क्लासिकल संगीत में ग्रेजुएट हुए. 1984 में जब उनकी बहन काफी बीमार थी तब उनका परीचय कादिरी इस्लाम से हुआ. बाद में उन्होंने अपनी माता के धर्म में अपना और अपने परीवार का परीवर्तन 23 साल की आयु में 1989 में किया, और मुस्लिम धर्म को अपनाकर अपने नाम आर.एस. दिलीप कुमार को बदलते हुए अल्लाह रखा रहमान (ए.आर. रहमान) रखा.

व्यक्तिगत जीवन:

          रहमान का विवाह सायरा बानू के साथ हुआ और उन्हें तीन बच्चे भी हुए : खतीजा, रहीमा और अमीन.
81 वे अकादमी अवार्ड्स सेरेमनी के दौरान रहमान ने अपनी माँ को श्रधांजलि दी थी. “उनके स्थिति को देखते हुए एक हिंदी डायलॉग भी है की, मेरे पास माँ है, जिसका अर्थ यह होता है की यदि मेरे पास कुछ भी नही है फिर भी मेरे पास मेरी माँ है.” रहमान ने उस समय कहा था, “इल्ला पुघाजहुम इरैवानुक्के (Ella Pughazhum Iraivanukke).” उनके यह शब्द कुरान के तमिल संस्करण से लिये गये थे, जिसका अर्थ माँ का भगवान् के समान होना है.

रहमान के बारे में रोचक बाते:

1. एक बच्चे के तौर पर उन्हें दूरदर्शन वंडर्स बलून में देखा जा सकता था, जहा एक ही समय में एक साथ 4 कीबोर्ड बजाने के लिये वे प्रसिद्ध थे.

2. रहमान एक कंप्यूटर इंजिनियर बनना चाहते थे.

3. नवम्बर 2013 में उन्हें सम्मान देते हुए मरखाम, ओंटारियो, कनाडा की कुछ जगहों के नाम को उनके नाम पर रखा गया था.

4. रहमान और उनके बेटे अमीन की जन्म तारीख एक ही है, 6 जनवरी.

5. स्लमडॉग मिलियनेयर को छोड़कर रहमान ने हॉलीवुड फिल्मो में भी काफी पहचान बनाई है जिसमे 127 ऑवर और लॉर्ड ऑफ़ वॉर शामिल है.

6. लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड 2007 में रहमान को “संगीत के क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध भारतीय” का अवार्ड दिया गया.

7. ऑस्कर विजेता गाना “जय हो” सलमान खान की युवराज के लिये गाया जाने वाला था.

8. जो कीबोर्ड रहमान बचपन में चलाते थे वह आज चेन्नई में उनके स्टुडियो में रखा गया है.

9. अंतरराष्ट्रिय सफलता के बावजूद रहमान ने दक्षिण भारतीय फिल्मो में गाना कभी नही छोड़ा.

10. रहमान ने 4 राष्ट्रिय अवार्ड्स, 15 फिल्मफेयर अवार्ड्स और 14 दक्षिण फिल्मफेयर अवार्ड 2014 तक जीते है. यही नही बल्कि 138 पुरस्कारों के लिये उनका नामनिर्देशन किया गया था जिनमे से उन्होंने 117 पुरस्कार अपने नाम किये है.

11. एक ही साल में 2 ऑस्कर पुरस्कार जितने वाले वे पहले एशियाई है.

12. फ्रेंच टी.व्ही. ने अपनी प्रसिद्ध फिल्म बॉम्बे के लिये रहमान का ही थीम गाना लिया था. यह भी उनके लिये अपनेआप में ही विशेष सम्मान है.

13. एयरटेल की प्रसिद्ध टोन को भी, संगीतकार रहमान ने ही गाया है, जो दुनिया की सबसे ज्यादा डाउनलोड की जाने वाली टोन बनी, जिसे 150 मिलियन से भी ज्यादा लोगो ने डाउनलोड किया था.

14. GQ द्वारा उन्हें 2011 का सबसे प्रसिद्ध एवं ख्याति प्राप्त व्यक्ति का सम्मान दिया गया था.

15. 2009 में आन का लगान फिल्म का गाना Amazon.Com के दुनिया के प्रसिद्ध 100 गानों की लिस्ट में 45 वे स्थान पर था.

16. 2005 में, फिल्म आलोचनकर्ता रिचर्ड कोर्लिस ने रहमान के शुरुवाती गाने को सभी समय के 10 बेस्ट गानों की लिस्ट में शामिल किया था.

17. यही नही बल्कि 2009 में टाइम पत्रिका ने रहमान को दुनिया में अपना प्रभाव छोड़ने वालो की सूचि में भी शामिल किया था.

             आज रहमान का नाम दुनिया के प्रसिद्ध संगीतकारों में लिया जाता है, उन्होंने अपनी कला से पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. उनके अनुयायी हमें सिर्फ भारत ही नही बल्कि पुरे विश्व में दिखाई देते है.उनके द्वारा गाये गाने “जय हो” ने तो कई विश्व रिकार्ड्स ध्वस्त कर दिए थे. ऐसे महान संगीतकार का अवश्य सम्मान करना चाहिये.

- Team Taiyari Jeet Ni

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