उठो, जागो और ध्येय प्राप्ति तक लगे रहो




 Lata Mangeshkar:

              लता मंगेशकर एक भारतीय प्लेबैक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर है। वह भारत की एक सबसे प्रसिद्ध, बेहतरीन और सम्मानित प्लेबैक सिंगर है। लता मंगेशकर का करियर 1942 में शुरू हुआ था और आज लगभग उन्हें 7 दशक पुरे हो चुके है। उन्होंने तक़रीबन 1000 से ज्यादा हिंदी फिल्मो के लिये गाने गाए है और तक़रीबन 36 देसी स्थानिक भाषाओ में गायन भी किया है और साथ ही उन्होंने विदेशी भाषाओ में भी गायन किया है। मुख्यतः Lata Mangeshkar ने मराठी और हिंदी भाषा में गीत गाए है। भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च अवार्ड दादासाहेब फालके अवार्ड उन्हें 1989 में देकर सम्मानित किया गया था। एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद वह दूसरी गायिका है जिन्हें भारत के सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया है.

पूरा नाम:     लता दिनानाथ मंगेशकर
जन्म:            28 सितंबर, 1929
जन्मस्थान:   इन्दोर
पिता:            दिनानाथ मंगेशकर
माता:            शेवंती मंगेशकर
विवाह:          अविवाहित

            लता मंगेशकर का जन्म मराठी बोलने वाले गोमंतक मराठा परिवार में, मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल गायक और थिएटर एक्टर थे। उनकी माता शेवंती (शुधामती) महाराष्ट्र के थालनेर से थी और वह दीनानाथ की दूसरी पत्नी थी। परिवार का उपनाम (सरनेम) हर्डीकर थे, लेकिन दीनानाथ ने इसे बदल्कार मंगेशकर रखा, ताकि उनका नाम उनके पारिवारिक गाँव मंगेशी, गोवा का प्रतिनिधित्व करे। जन्म के समय लता का नाम “हेमा” रखा गया था लेकिन बाद में उनका नाम बदलकर लता रखा गया था। लता अपने माता-पिता की पहली संतान है। इसके साथ ही मीना, आशा भोसले, उषा और हृदयनाथ उनके भाई-बहन है.

             मंगेशकर ने अपना पहला पाठ अपने पिता से सिखा था। पाँच साल की उम्र में लता जी ने अपने पिता के म्यूजिकल नाटक के लिये एक्ट्रेस का काम करना शुरू किया था (संगीत नाटक) । स्कूल के पहले दिन से ही उन्होंने बच्चो को गाने सिखाने शुरू कर दिये थे। जब शिक्षको ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो वह बहुत गुस्सा हो गयी थी और उन्होंने स्कूल जाना ही छोड़ दिया था। सूत्रों के अनुसार ये भी पता चला है की लता अपने साथ स्कूल में आशा को लेकर आती थी और स्कूल वालो ने उन्हें साथ लाने से मना कर दिया था इसीलिए उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया था.

           लता मंगेशकर संगीत क्षेत्र का चमत्कार है इसका अहसास मास्टर दिनानाथ मंगेशकर को लता के बचपन में ही हो गया था। मा.मंगेशकर की गायिकी लता मंगेशकर के खून में आ गयी। 9 साल की उम्र में इस स्वरासम्राज्ञानिने शास्त्रीय संगीत की मैफिल सजाई थी। मा.दिनानाथ का देहांत होने के बाद 13 साल की उम्र में मतलब 1942 में ‘किती हसाल?’ इस फिल्म के लिए ‘नाचू या ना गड़े खेडू सारी, मानी हौस भारी’ ये गीत पहली बार गाया.

               लता के गाये यादगार गीतों में एन फिल्मों के नाम विशेष उल्लेखनीय है – अनारकली, मुगले आजम अमर प्रेम, गाइड, आशा, प्रेमरोग, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्,आदी. नए फिल्मों में भी उनकी आवाज पहले की तरह न केवल सुरीली है, बल्किउसमे और भी निखार आ गया है, जैसे हिना, रामलखन, आदी में। एक समय उनके गीत ‘बरसात’, ‘नागिन’, एवं ‘पाकीजा’ जैसी फिल्मों में भी काफी चले थे.

          उन्होंने 30,000 से अधिक गाने गाये है तथा सभी भारतीय भाषाओ में गाने का उनका एक कीर्तिमान भी है। लता मंगेशकर ने न केवल कई गीतकारो एवं संगीतकारों को सफल बनाया है बल्कि उनके सुरीले गायन कारण ही अनेक फिल्मे लोकप्रिय सिद्ध हुई है। उन्हें अनेक राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके है तथा भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है, और उन्हें गायन के लिए 1958, 1960, 1965,एवं 1969 में फिल्मफेयर एवार्ड प्राप्त हुये। ‘गिनीस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ की तरफ से भी उनका विशेष सम्मान किया जा चूका है। मध्यप्रदेश शासन की ओर से उनके नाम प्रतिवर्ष 1 लाख रूपये का पारितोषिक दिया जाता है। 1989 में लताजी को ‘दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

मंगेशकर जीवन एक नजर में:

      1942 में मंगेशकर परिवार के साथ एक दुःखद घटना घटित हुई, जब दीनानाथ मंगेशकर को ह्रदय संबंधी बिमारी हुई और वे अपने विशाल युवा परिवार को बीच में छोड़ ही चल बसे थे। उनकी सबसे बड़ी बेटी, लता उस समय केवल 13 साल की थी और उसी समय लता ने परिवार के पालन-पोषण के लिये काम करना शुरू कर दिया था.

            लता ने अपना पहला गाना 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिये “नाचू या गड़े” गाया था। लेकिन फिल्म की कटाई करते समय इस गाने को फिल्म से निकाल दिया गया था.

             उनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने लता को 1942 में मराठी फिल्म ‘पहिली मंगला-गौर’ में एक छोटा सा किरदार भी दिया था जिसमे लता ने एक गाना भी गाया था.

           भले ही लता ने अपना करियर मराठी गायिका और अभिनेत्री के रूप में शुरू किया था लेकिन उस समय यह कोई नही जानता था की यह छोटी लड़की एक दिन हिंदी सिनेमा की सबसे प्रसिद्ध और मधुर गायिका बनेगी। देखा जाये तो, उनका पहला हिंदी गाना भी 1943 में आई मराठी फिल्म का ही था। वह गाना “माता एक सपूत की दुनियाँ बदल दे तु” था जो मराठी फिल्म “गजाभाऊ” का गाना था.

              बाद में 1945 में मास्टर विनायक कंपनी के साथ लता मुंबई आ गयी। इस समय भी लता उस्ताद अमानत अली खान से हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत सीखना शुरू किया था.

            1948 में दुर्भाग्यवश विनायक की मृत्यु हो गयी थी और लता के जीवन में एक और तूफ़ान आया था और हिंदी फिल्म जगत में उनके शुरुवाती साल काफी संघर्ष से भरे हुए थे। लेकिन अंततः 1949 में आई फिल्म ‘महल’ में उन्होंने अपना हिट गाना “आयेगा आनेवाला” गाया.

           1950 में बहुत से म्यूजिक डायरेक्टर जैसे अनिल बिस्वास, शंकर जयकिशन, एस.डी. बर्मन, खय्याम इत्यादि द्वारा कंपोज़ किये गए गानों को गाने वाली इस महिला को काफी हद तक सफलता मिली।
उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्हें 1958 में फिल्म “मधुमती” के गीत “आजा रे परदेसी” गाने के लिये बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिन सिंगर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला.

        1960 का समय लता जी के लिये सफलताओ से भरा हुआ था, इस समय में उन्होंने “प्यार किया तो डरना क्या”, “अजीब दासता है ये” जैसे कई सुपरहिट गाने गाए.

        1960 के साल को सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और लता जी के संबंध के लिये भी जाना जाता था जिसके बाद लता जी ने तक़रीबन 35 साल के अपने लंबे करियर में 700 से भी ज्यादा गाने गाए।
इसके बाद मंगेशकर की सफलता और आवाज़ का जादू 1970 और 1980 के दशक में भी चलता गया और इस समय उन्होंने कई धार्मिक गीत भी गाए थे। इस समय उन्होंने अपनी पहचान अपनी आवाज़ की बदौलत पुरे विश्व में बना रखी थी.

         1990 में बॉलीवुड में बहुत से नये महिला गायकों ने प्रवेश किया लेकिन जिनके कंठ में स्वयं सरस्वती विराजमान है उन्हें भला अपनी कौन पीछे छोड़ सकता है। इस समय भी लता की सफलता का दिया चालू रहा। और आज के समय में भी लोग लता जी से उतना ही प्यार करते है जितना 70, 80 और 90 के दशक में करते थे।
भारत रत्न लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और सम्माननीय गायिका है जिनका छः दशको का करियर कई उपलब्धियों से भरा हुआ है। जिनकी आवाज़ ने छः दशको से भी क्यादा समय तक संगीत की दुनिया को सुरों से नवाजा है। भारत की ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने बहुत सी भाषाओ में हजारो गाने गाए है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आये तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी ने आज भी स्वयं को पूरी तरह संगीत के लिये समर्पित रखा है.

          लता जी एक लिजेंड है जिन पर हर भारतवासी गर्व करता है। लता जी के और नये गाने सुनने के लिये हम सभी बेकरार है और उम्मीद करते है की जल्द ही हमें उनका कोई नया गाना सुनने मिलेंगा। लता मंगेशकर दुनिया की एक यैसी कलाकार है, जिनके समान न कोई पहले हुआ और न संभवतः हो सकेगा.

लता मंगेशकर पुरस्कार:

* फिल्म फेर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
* राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)
* महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)
* 1969 – पद्म भूषण
* 1974 – दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
* 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
* 1993 – फिल्म फेर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
* 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
* 1997 – राजीव गांधी पुरस्कार
* 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार
* 1999 – पद्म विभूषण
* 1999 – ज़ी सिने का का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
* 2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
* 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
* 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
* 2001 – नूरजहाँ पुरस्कार
* 2001 – महाराष्ट्र भुषण

विशेषता:

* पिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे.
* उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था.
* Lata Mangeshkar को सबसे बडा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया “आयेगा आने वाला” सुपर डुपर हिट था.
* लता मंगेशकर अब तक 20 से अधिक भाषाओं मे 30000 से अधिक गाने गा चुकी हैं.
* Lata Mangeshkar ने 1980 के बाद से फ़िल्मो मे गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी.
* लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं.
* लता मंगेशकर ने आनंद गान बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है.
* लता जी हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं.


- Team Taiyari Jeet Ni

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